आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है ! कविता

आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! कविता
आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! कविता

आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है !
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !!

तेईस प्रतिशत सनातनी, जो सिंधु के उस पार रहे,
सैतालिस से पाकिस्तानी, अब तक  उनको मार रहे !

हिंगलाज में लुटी सुतायें, मानवता शर्मिंदा है,
इन देशों में केवल कुछ, प्रतिशत हिन्दू ही जिंदा हैं !

संसद में यह बिल आया है, हम इसके आभारी हैं,
हर हिंदू की रक्षा अब, हिंदुस्तान की जिम्मेदारी है !

क्योंकि इनकी आस्थाओं के, गंगाधर हैं भारत में,
आशुतोष अवघरदानी, है शिव प्रलयंकर भारत में।

योगेश्वर की पुण्यभूमि, देवों की अगणित माला है,
मर्यादा पुरुषोत्तम का, मन्दिर भी बनने वाला है !

हिंगलाज से वैष्णव देवी तक जाने के सपने हैं,
नानक, गौतम, महावीर के बेटे भी तो अपने हैं !

इनकी पीड़ा चीख चीख कर दुनिया भर से कहती है,
ये उस देश के वासी हैं जिस देश मे गंगा बहती है !

लेकिन बहती गंगा में, कुछ हाथ भी धोने वाले हैं,
संशोधन पर छाती माथा पीट के रोने वाले हैं !

उन्हें बता दो जो अपने, हम मात्र उन्हें अपनायेंगे,
अब उनके अतिरिक्त देश में, और न पालें जायेंगे !

हम चंदन के निकट कभी, विषबेल नहीं बोने देंगे,
शरणागत के  स्वागत में, घुसपैठ  नहीं होने देंगे !

जब जी चाहे  घुस आये, दरबार  बनाकर रखा है,
भारत को अपनी खाला का, घर-बार बनाकर रखा है !

जब भारत का ही गरीब, जीवन जीता कंगाली में,
तब कैसे रोटी  दे - दें हम, रोहिंग्या की थाली में !

सब कुछ मुफ्त लुटा दें ऐसा, इक बाज़ार नहीं हैं,
हम उदार हैं लेकिन सबके,पालनहार नहीं हैं!

धनकुबेर या अन्नपूर्णा के  अवतार नहीं है हम, !
दुनिया के हर घुसपैठियों के ठेकेदार नहीं है हम !!

सत्य सनातन धर्म की जय हो !