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tax system और budget की कहानी |
एक बार 10 मित्र ढाबे पे खाना खाने गए ।
बिल आया 100 रु । 10 रु की थाली थी ।
मालिक ने तय किया कि बिल की वसूली देश की कर प्रणाली के अनुरूप ही होगी
पहले 4 (गरीब बेचारे ) उनका बिल माफ़
5वाँ ................1रु
6ठा ................3रु
7वाँ ................7रु
8वाँ ................12रु
9वाँ ................18 रु
10वाँ .............. 59 रु देने लगा ।
साल भर बाद मालिक बोला । आप लोग मेरे इतने अच्छे ग्राहक हैं सो मैं आप लोगों को बिल में 20 रु की छूट दे रहा हूँ । अब समस्या ये कि इस छूट का लाभ कैसे दिया जाए सबको । पहले चार तो यूँ भी मुफ़्त में ही खा पी रहे थे । एक तरीका ये था की 20 रु बाकी 6 में बराबर बाँट दें । ऐसी स्थिति में 4 के साथ 5 वां और छठा भी फ्री खाने लगा ।
इतना ही नहीं 2.33रु और .33रु घर भी ले जाने लगे ।
मालिक ने ज़्यादा न्याय संगत तरीका खोजा ।
नयी व्यवस्था में अब पहले 5 मुफ़्त खाने लगे
6ठा 3 की जगह 2 रु देने लगा ... 33%लाभ
7वां 7 के 5 रु देने लगा .....28% लाभ
8वां 12 की जगह 9 रु देने लगा ....25 %लाभ
9वां 18 की जगह 14 देने लगा .... 22 %लाभ
10वां 59 की जगह 49 देने लगा सिर्फ .....16%लाभ
बाहर आ के 6ठा बोला , मुझे तो सिर्फ 1 रु का लाभ मिला जबकि वो पूंजीपति 10 रु का लाभ ले गया ।
5वां जो आज मुफ़्त में खा के आया था, बोला वो मुझसे 10 गुना ज़्यादा लाभ ले गया ।
7वां बोला , मझे सिर्फ 2 रु का लाभ और ये उद्योगपति 10 रु ले गया ।
पहले 4 बोले .....अबे तुमको तो फिर भी कुछ मिला हम गरीबों को तो इस छूट का कोई
लाभ ही नहीं मिला ।
ये सरकार सिर्फ इस पूंजीपति उद्योगपति सेठ के लिए काम करती है ......मारो ....पीटो .....फूंक दो........और सबने मिल के दसवें को पीट दिया ।
सेठिया पिट पिटा के इलाज करवाने सिंगापूर मलेशिया चला गया ।
अगले दिन वो उस ढाबे पे खाना खाने नहीं आया ।
और जो 9 थे उनके पास सिर्फ 40 रु थे जबकि बिल 80 रु का था ।
मित्रों अगर उस बेचारे को यूँ ही पीटेंगे हम लोग तो हो सकता है वो किसी और ढाबे पे
खाना खाने लगे जहां उसे tax प्रणाली हमसे बेहतर मिल जाए ।
मित्रों .....ये है कहानी हमारे taxation system की और budget की .......