प्यार की कली सब के लिए, खिलती नहीं...
चाहने भर से हर चीज मिलती नहीं...
ये सच्चा प्यार तो बस किस्मत से मिलता है...
हर किसी को ऐसी किस्मत मिलती नही...
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मौसम कैसा भी रहे कैसी चले बयार
बड़ा कठिन है भूलना पहला-पहला प्यार
उनकी नजरों में छुपा आज भी एक राज़ था...
वही चेहरा वही लिबास था...
कैसे यारों उनको बेवफा कह दु...
आज भी उनके दॆखनॆ का वही अंदाज था...
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दिल करता हैं ज़िन्दगी तुझे दे दूँ...
ज़िन्दगी की सारी खुशियाँ तुझे दे दूँ...
दे दे अगर तू मुझे भरोसा अपने साथ का...
तो यकीन मान अपनी सांसे भी तुझे दे दूँ...
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चाहे तो छोड़ दो चाहे तो निभा लो
मोहब्बत हमारी है पर मर्जी सिर्फ तुम्हारी।
तुम नाहक टुकड़े चुन-चुन कर दामन में सँजोए बैठी हो...!!
शीशों का मसीहा कोई नहीं, क्यों आस लगाए बैठी हो...
सच्चा प्यार की शायरी
लफ़्ज़ों की बातें, वो सांसों से कह गये...!!
दबे छिपे अंगारे को फिर से हवा दे गये...!!!!
मैंने तो पहन लिया है ताबीज में बाँध कर...!!
अब गले लगकर रहना तेरी जिम्मेदारी है...!!!!
इक छोटी सी ही तो हसरत है...
इस "दिल-ए-नादान" की...
कोई चाह ले इस कदर...कि...
खुद पर गुमान हो जाए...
हमने तो नफरतों से ही सुर्खियाँ बटोर ली जनाब,
सोचो अगर वो भी महोब्बत कर लेते तो क्या होता I
इश्क़वालों में बड़प्पन बहुत ज़रूरी है ||
छोटे दिल मे मेहबूब बसाये नहीँ जातें...💖
मोहताज नहीं औरत किसी गुलाब की,
वो तो खुद बागवान हैं इस कायनात की।
हो मुनासिब तो जरा महसूस कराइये...!!
ये इश्क़ क्या है..??
जरा मुझमें खो के बताइये...!!!!
जानते हो, किसे कहते है,, जन्नत मे घूमना,
तुम्हारा बाँहों में भर के मेरे माथे को चूमना..!!
भटक जाते हैं लोग अक्सर मोहब्बत की गलियों में,
इस सफर का कोई इक नक्शा तो होना चाहिए।
कौन कहता है की इश्क में बस इकरार होता है...
कौन कहता है की इश्क में बस इनकार होता है...
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम न दो...
क्योंकि इश्क का दूसरा नाम ही इंतज़ार होता है...
ऐसा सहारा बनेंगे तुम्हारा कि कभी टूट ना पाओगे...
और इतना चाहेंगे तुम्हें कि कभी रूठ ना पाओगे...
sache pyar ki shayari
वो तब भी थी अब भी है और हमेशा रहेगी………!
ये रूहानी मुहब्बत है कोई तालीम नहीं जो पूरी हो जाए।
बचपन से सिखाया गया था अजनबी से बात नहीं करनी
चाहिए ओर मैं पागल उसे दिल 💝 भी दे बैठा !!
सुनो अब तुम जहां हो वहीं रहना लौटना मत मुझ में,
नहीं चाहिए अब हमदर्दी तेरी, मैं मुद्द्तों बाद लौटा हूं खुद में!
हम भी खड़े थे मोहब्बत की दहलीज पे
पर कभी लांघना गंवारा न समझा,
जब पता चला नफरत है उनको मोहब्बत करने वालों से,
तो खोने के डर से इजहार करना सही न समझा।
आपने बहुत ही अच्छा शायरी लिखा है। धन्यवाद, Sir.
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