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भर भर आंसू मुझे रुलाती। बीते दिनों की याद सताती।। कविता

(Last Updated On: February 25, 2023)

 

भर भर आंसू मुझे रुलाती
बीते दिनों की याद सताती
वह अपने यारों की टोली
मित्रों के संग हंसी ठिठोली
यारों के संग गप्प सड़ाका
हंसना मार के जोर ठहाका
बिन यारों के सूना लगता है
बुझा बुझा सा मन रहता है
मुक्त पंख से मन उड़ जाता
तन दीवारों से टकराता
अपनों से वो रिश्ते नाते
अपनों से वो मन की बातें
अब तो मेरा मन सुलगातीं
बीते दिनों की याद सताती
बीबी की सुन पक जाता हूं
लेटे लेटे थक जाता हूँ।।
खाते खाते भूंख सताती
पानी पीकर प्यास है आती
सोते सोते नींद का आना
बिगड़ गया सब ताना बाना
समय चक्र सा टूट गया है
दिन का चक्कर छूट गया है
खुशियों की दीवारें ढहती
तारीखें अब याद न रहती
बीती बातें अब तरसाती
बीते दिनों की याद सताती
गलियों में पसरा सन्नाटा
चौराहे पर चलता चांटा
घर के भीतर की दीवारें
अब तो मेरा ही मन जारें।।
गरम जलेबी गरम समोसा
याद हैं आते इडली डोसा
रसगुल्ले की अलग कहानी
सोंच के मुह में आता पानी
लड्डू तेरा रुप अनोखा
यादों में है बाटी चोखा
सपने में बरफी दिख जाती
बीते दिनों की याद सताती

Martin Dumav

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