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लॉकडाउन हास्य कविता । Lockdown funny poem

(Last Updated On: )

 

सभी शादी शुदा पुरुषों को समर्पित
उठो लाल अब आंखे खोलो
बर्तन मांजो कपड़े धो लो
झाड़ू लेकर फर्श बुहारो
और किचेन में पोछा मारो
अलसाओ न, आंखें मूंदो
सब्ज़ी काटो, आटा गू थो
तनिक काम से तुम न हारो
घी डालकर दाल बघारो
गमलों में तुम पानी डालो
छत टंकी से गाद निकालो
देखो हमसे खेल न खेलो
छोड़ मोबाइल रोटी बेलो
बिस्तर सारे , धूप में डालो
ख़ाली हो अब काम संभालो
नहीं चलेगी अब मनमानी
याद दिला दूंगी अब नानी
ये, आईं है, अजब बीमारी
सब पतियों पे विपदा भारी
नाथ अब शरणागत ले लो
कुछ भी हो ये आफत ले लो।

Martin Dumav

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