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मुझे शर्म है कि मै हिन्दू हूं । कविता

(Last Updated On: )
मुझे शर्म है कि मै हिन्दू हूं..😞😞
मुझे शर्म है कि मै उस हिन्दुओं के बीच में रहता हूं जो अपने बहनों को नहीं बचा सकते है..
मुझे शर्म है कि मै उस हिन्दुओं के बीच में रहता हूं जो चंद पैसों के लिए अपने देश को बेच देते है…
हा मुझे शर्म है कि मै उस हिन्दुओं के बीच में रहता हूं जो पढ़े लिखे तो है लेकिन वो किसी अनपढ से कम नहीं है…
मुझे मुझे शर्म है कि मै उस हिन्दुओं के बीच में रहता हूं जिसके रगो में मेहनत नहीं मुफ्तखोरी है…
मुझे शर्म है कि मै उस हिन्दुओं के बीच में रहता हूं जो शिर्फ़ नाम के हिन्दू है 🥺🥺

Martin Dumav

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